Tuesday, October 16, 2012

Vishwambhari Stuti [Hindi]

Meaning of Garba
'Ma' is the 'Garbha' (Womb) from where the Universe manifests. The word 'Garba' stems from 'Garbha' and symbolises the 'Dance of Creation' Mother holds us in her arms when we feel dejected, gives us various gifts from time to time, but admonishes us when we cross our line.

Vishvambhari Stuti
This hymn is sung usually after performing Mataji's Arti or before the starting playing Garba. This beautiful hymn was written in Gujarati by an unknown poet. It asks Mataji to protect you. By singing this hymn with devotion and love, you can overcome your worries and fears by admitting your faults to our Maa.

विश्वंभरी अखिल विश्व तनी जनेता
विद्या धरी वदनमा वसजो विधाता 
दुर्बुद्धिने दूर करी सदबुद्धि आपो 
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो   

भूलो पड़ी भवरने भटकू भवानी
सूझे नहीं लगिर कोई दिशा जवानी 
भासे भयंकर वाली मन ना उतापो  
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो   

आ रंकने उगरावा नथी कोई आरो
जन्मांड छू जननी हु ग्रही बाल तारो
ना शु सुनो भगवती शिशु ना विलापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो   

माँ कर्म जन्मा कथनी करता विचारू 
आ स्रुष्टिमा तुज विना नथी कोई मारू 
कोने कहू कथन योग तनो बलापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो   

हूँ काम क्रोध मद मोह थकी छकेलो 
आदम्बरे अति घनो मदथी बकेलो
दोषों थकी दूषित ना करी माफ़ पापो 
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो   

ना शाश्त्रना श्रवण नु पयपान किधू 
ना मंत्र के स्तुति कथा नथी काई किधू
श्रद्धा धरी नथी करा तव नाम जापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो   

रे रे भवानी बहु भूल थई छे मारी 
आ ज़िन्दगी थई मने अतिशे अकारि
दोषों प्रजाली सगला तवा छाप छापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो   

खाली न कोई स्थल छे विण आप धारो
ब्रह्माण्डमा अणु अणु महि वास तारो
शक्तिन माप गणवा  अगणीत  मापों
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो   

पापे प्रपंच करवा बधी वाते पुरो
खोटो खरो भगवती पण हूँ तमारो 
जद्यान्धकार दूर सदबुध्ही आपो 
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो 

शीखे सुने रसिक चंदज एक चित्ते 
तेना थकी विविधः ताप तळेक चिते 
वाधे विशेष वली अंबा तना प्रतापो 
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो   

श्री सदगुरु शरणमा रहीने भजु छू 
रात्री दिने भगवती तुजने भजु छू
सदभक्त सेवक तना परिताप छापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो   

अंतर विशे अधिक उर्मी तता भवानी
गाऊँ स्तुति तव बले नमिने मृगानी 
संसारना सकळ रोग समूळ कापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

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